पर्यावरण चौपट कर रहा इस्पात व लौह उद्योग
नई दिल्ली भारत की स्टील और लौह अयस्क कंपनियों की पहली बार की गई पर्यावरण रेटिंग में इस्पात इंडस्ट्रीज को पहले स्थान पर जगह मिली है। प्रतिष्ठित गैर-सरकारी संगठन विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की ओर से किए गए इस आकलन में एस्सार स्टील और राष्ट्रीय इस्पात निगम को दूसरे और तीसरे स्थान पर जगह मिली है। वैसे, इस रेटिंग को जारी करते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने माना कि पर्यावरण मानकों को लागू करने के लिहाज से इस उद्योग की स्थिति बेहद बुरी है। जयंती के मुताबिक, उन्हें यह देखकर बेहद हैरानी हो रही है कि अपने देश का इस्पात और लौह अयस्क (आयरन ओर) उद्योग पर्यावरण के मानकों पर इतना पीछे है। सरकार इस स्थिति को ठीक करने के लिए न सिर्फ नियमों को और मजबूत करेगी, बल्कि इनकी निगरानी व्यवस्था को भी दुरुस्त करेगी। इस रेटिंग के दौरान यह भी पता चला है कि ये कंपनियां आसानी से पर्यावरण अनुकूल उपाय अपना सकती हैं। इसके लिए जरूरी तकनीक बेहद आसानी से उपलब्ध है। यहां तक कि ऐसी तकनीक इनके लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है। इसके बावजूद अधिकांश कंपनियां साहस नहीं दिखा रही हैं। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि देश की शीर्ष 21 स्टील निर्माता कंपनियों का 150 तरह के पर्यावरण संबंधी मानदंडों पर मूल्यांकन किया गया। लेकिन इस उद्योग को कुल मिलाकर 19 फीसद अंक ही मिले, जबकि यह उद्योग देश की भूमि, जल और कच्चा माल जैसे संसाधनों को बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता है। भारत में ये कंपनियां जितनी बिजली का इस्तेमाल करती हैं, वह अंतरराष्ट्रीय मानकों से 50 फीसद ज्यादा है। इसी तरह पानी की खपत भी ये तीन गुना ज्यादा करती हैं। नारायण ने पारदर्शिता नहीं दिखाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सेल की जोरदार आलोचना भी की।
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