आर्कटिक में गर्मी से टुंड्रा की झाडि़यां बनीं पेड़
उत्तरी ध्रुव में स्थित आर्कटिक क्षेत्र में टुंड्रा सर्वाधिक ठंडा क्षेत्र होने के कारण वहां कभी पेड़ नहीं पाए जाते। लेकिन आर्कटिक क्षेत्र में लगातार बढ़ती गर्मी के कारण वहां की वनस्पतियों में भी जमीन-आसमान का फर्क आ गया है। वहां पर हमेशा से ही बमुश्किल छोटी झाडि़यां पनपती थीं। लेकिन पिछले कुछ दशकों से इन झाडि़यों का कद इतना बढ़ गया है कि वह पेड़ के आकार की हो गई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि नए शोध में पाया गया है कि टुंड्रा के फिनलैंड और पश्चिमी साइबेरिया के बीच करीब दस से पंद्रह फीसदी भूमि पर पेड़ के आकार की नई झाडि़यां उग आई हैं। इनका कद 6.6 फीट से भी ऊंचा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बायोडायवर्सिटी इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ता मार्क मेकस फ्यूरिया ने बताया कि सिर्फ तीस साल पहले तक टुंड्रा क्षेत्र में किसी ने पेड़ कभी देखे तक नहीं थे। उनका कहना है कि आर्कटिक क्षेत्र में ही कभी 3.3 फीट से ऊंची झाडि़यां कभी नहीं हुईं जोकि करीब एक रेनडीयर (एक प्रकार का हिरण) के कद की होती हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने पर्यावरण में इस बड़े बदलाव पर तब ध्यान केंद्रित किया जब स्थानीय लोगों ने कहा कि अब उन्हें रेनडीयर दिखना बंद हो गए हैं। पर्यावरण में बदलाव के कारणों को समझने के लिए उत्तरी पश्चिमी यूरेशियाई टुंड्रा इलाके में वैज्ञानिकों के दल ने स्थानीय लोगों और चरवाहों और वेधशालाओं की मदद से इन इलाकों के तापमान के आंकड़े, जंगलों में झाडि़यों के बढ़ने के उपग्रहों से एकत्र आंकड़े जुटाए। इसके अलावा उन्होंने यह भी मालूम किया कि इन इलाकों में हरियाली का इलाका पहले कितना अधिक बढ़ा है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि ज्यादातर नई झाडि़यां हर वर्ष जुलाई के महीने में उगी हैं। अनुसंधानकर्ता मैसिया फुरिया का कहना है कि पहले यहां नन्हीं झाडि़यों या घास से अधिक कुछ इसलिए नहीं उग पाता था क्योंकि ऊंचे कद के साथ वनस्पति का पर्यावरण की दुरुह स्थितियों का सामना कर पाना संभव नहीं था। लेकिन अब तापमान पहले की अपेक्षा बहुत घट गया है। टुंड्रा के इस इलाके में पर्यावरण परिवर्तन की यह बानगी भर है। बाकी इलाकों का क्या हाल है इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है।
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